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बुधवार, 27 मई 2020

मुजफ्फरपुर :- बिहार के मुजफ़्फ़रपुर स्टेशन पर गहरी नींद में सोई मां के साथ खेल रहे इस बच्चे को नहीं मालूम कि उसकी मां अब हमेशा के लिये सो गई है।

मुजफ्फरपुर :- बिहार के मुजफ़्फ़रपुर स्टेशन पर गहरी नींद में सोई मां के साथ खेल रहे इस बच्चे को नहीं मालूम कि उसकी मां अब हमेशा के लिये सो गई है। उसे नहीं मालूम की अब वो चादर खींचेगा भी तो माँ उठकर डाँटेगी नहीं।..कुछ नहीं बोलेगी...ना डाँटेगी.ना दुलारेगी, ना पुचकारेगी, ना जबरन खिलाएगी..
इस बच्चे के पिता का सरकार पर आरोप है कि ट्रेन में भीषण गर्मी में गुजरात से शुरू हुए 4 दिन के लंबे सफर ने मेरी पत्नी की जान ले ली, रास्ते मे न खाने का इंतज़ाम था, न तपती गर्मी में पानी का इंतज़ाम था! अब इसे लेकर अपने घर कटिहार कैसे जाऊंगा। 


इस महिला की ही तरह पिछले दो दिनों में सिर्फ बिहार  ट्रेन में 5 लोग दम तोड़ चुके हैं। आज भागलपुर, बरौनी और अररिया स्टेशन पर एक- एक व्यक्ति की मौत भी इसी तरह हुई। कल मुजफ़्फ़रपुर स्टेशन पर डेढ़ साल के बेटे का शव गोद मे लिए पिता ने बताया कि ट्रेन में 4 दिन तक पत्नी को खाना नहीं मिला तो दूध नहीं उतरा, बच्चा भी भूखा रह गया, ऊपर से भीषण गर्मी। रास्ते मे ही तबियत बिगड़ी और यहां आते आते मौत हो गयी। इसी तरह मुम्बई से सीतामढ़ी आ रहे एक परिवार में भी एक बच्चे की मौत कानपुर में हो गयी।

इन सबकी मौत कोरोना से होती तो नियति को मानकर संतोष किया जा सकता था। लेकिन ऐसा है नही। 
रेलवे की जिम्मेदारी सिर्फ पटरी पर ट्रेन दौड़ाना भर ही खत्म हो जाती  है! 60 से 90 घंटे के सफर में क्या यात्रियो के खाने का इंतज़ाम नही करना चाहिए था सरकार को! खाना देने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। 
गरीब मज़दूर को सरकार के सहारे बिल्कुल नही रहना चाहिए। मजदूर को तो हर हाल में घर जाना है। पर इस तरह से अपनो को खो कर बिल्कुल भी नही।

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